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भक्ति हमेशा षड्विकार रहित होकर करनी चाहिए:-देवराहाशिवनाथ

परमपूज्य त्रिकालदर्शी, परमसिद्ध, विदेह संत श्रीदेवराहाशिवनाथदासजी महाराज के सानिध्य में आरा के मुफ्फसिल थानाक्षेत्र के रामापुर सनदिया मेंं संकीर्तन का आयोजन किया गया।संकीर्तन के पूर्व श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए संतश्रीदेवराहाशिवनाथदासजी महाराज ने कहा कि  सूखी हुई लकडी अग्नि के संपर्क में आने से झट ही प्रज्जवलित हो जाती है और भीगी हुई लकडी अग्नि के संपर्क में आने पर भी प्रज्जवलित नहीं होती।वैसे ही भक्त भी दो तरह के होते हैं।पहला षड्विकार (काम,क्रोध, मद,मोह,माया और लोभ)से रहित और दूसरा षड्विकार युक्त।संतश्री ने आगे कहा कि जैसे सूखी हुई लकड़ी में जब घी का लेप लगाया जाता है और घी का लेप लगाकर उसे जब अग्नि के संपर्क में लाया जाता है तो उससे अग्नि का प्रज्जवलन हो जाता है और घी का सुगंध पूरे ब्रम्हांड में फैलकर उसे अपने सुगंध से सुवासित कर देता है।इसी प्रकार जब भक्त षड्विकार से रहित होकर ईश्वर की पुकार करता है तो वैसे भक्त पर ईश्वर की अहैतुकी कृपा बरसती है।वहीं इस कार्यक्रम को सफल बनाने में रामापुर सनदिया के पूर्व मुखिया सह रामविलास लोजपा के जिलाध्यक्ष राजेश्वर पासवान, बटेश्वर जी,रामदासजी, कामाख्या जी,आशीष, अवनीश, सहित अन्य लोगों का अद्भुत सहयोग रहा।

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