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संकीर्तन से मनोरथ पूर्ण होता है:-संतश्रीदेवराहाशिवनाथ

रिपोर्टर जितेन्द्र कुमार 
आरा। परमपूज्य त्रिकालदर्शी परमसिद्ध विदेह संतश्रीदेवराहाशिवनाथदासजी महाराज के सान्निध्य में आज आरा शहर के शिवपुर आनंद नगर में संकीर्तन का भव्य आयोजन किया गया। संकीर्तन के पूर्व श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए त्रिकालदर्शी परमसिद्ध विदेह संतश्रीदेवराहाशिवनाथदासजी महाराज ने कहा कि जैसे रेल पटरी पर से जब उलटती है तो पटरी के किनारे ही लगती है न कि किसी गांव में। ठीक उसी प्रकार जब भक्त ईश्वर का नाम ले अथवा ना ले। कीर्तन में शामिल हो या ना हो परन्तु वह ईश्वर के शरण में ही रहता है। इससे जीव का कल्याण होता है। ऐसे ही भक्तों के योगक्षेम का भगवान निर्वहन करते हैं। संतश्री ने आगे कहा कि एक बार नारदजी भगवान से पूछते हैं कि हे प्रभु आप कहां रहते हैं? इस पर प्रभु नारदजी से कहते हैं कि हे नारद नाहम् वसामि बैकुंठे योगिनां हृदय न च।मद् भक्ता यत्र गायन्ति तंत्र तिष्ठामि नारद। हे नारद ना तो मैं बैकुंठ में रहता हूं और ना ही योगियों के हृदय में, जहां मेरा भक्त हरि नाम संकीर्तन करता है। वहीं मैं निवास करता हूं। इस पर नारदजी अपनी वीणा उठाकर कीर्तन करते हुए वहां से चल देते हैं। संतश्री ने आगे कहा कि संकीर्तन से जीव के मनोरथ की पूर्ति होती है। वहीं इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अभिजीत मिश्रा, मिंटु सिंह, सूरज सिंह, रामभरोसा यादव, भीखम लोजपा रामविलास जिलाध्यक्ष राजेश्वर पासवान, रामदास, सहित सभी भक्तों का सराहनीय योगदान रहा। वहीं चना केवटिया के मंटू व्यास की संकीर्तन मंडली, जीतन व्यास सारंगपुर और रामापुर के जीउत व्यास की मंडली ने अपने संकीर्तन से भक्तों को खूब झूमाया।

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